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आऔ, कुर्आन की शिक्षा की बात करें। कुर्आन को समझने की कोशिश करें। और कुर्आन को समझाने की कोशिश करें। अपने प्रश्नों के उत्तर [भले ही वह धार्मिक हों, समाजिक हों या विज्ञानी हों] कुर्आन से प्राप्त करें, साथ ही क़ुर्आन के कुछ सवालों के जवाब देने के लिए स्वंम को तैयार करें। इंसान बनने और इंसान होने का ज्ञान कुर्आन से प्राप्त करें। क़ुरान मे जीवन ढूँडे, और जीवन मे कुर्आन ढूँडे।
अगर एक ईश्वर की बात करते हैं तो उसका रास्ता कुर्आन से ढूँडे। कुर्आन स्वयं ईश्वर रचित पवित्र ग्रंथ कैसे है यह उत्तर स्वयं कुर्आन से प्राप्त करें। संसार मे उपलब्ध पवित्र ग्रंथों को कुर्आन के प्रकाश मे पढ़ने और समझने की कोशिश करें।
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رَّبِّ اَعُوۡذُ بِکَ مِنۡ ھَمَزٰتِ الشَّیٰطِیۡنِ ۙ وَ اَعُوۡذُ بِکَ رَبِّ اَنۡ یَّحۡضُرُوۡن ؕ۔
بِسۡمِ اللّٰهِ الرَّحۡمٰنِ الرَّحِيۡمِۙ۔
कुर्आन।
ذٰ لِكَ الۡڪِتٰبُ لَا رَيۡبَ ۚ فِيۡهِ ۚ هُدًى لِّلۡمُتَّقِيۡنَۙ ﴿۲﴾ الَّذِيۡنَ يُؤۡمِنُوۡنَ بِالۡغَيۡبِ وَ يُقِيۡمُوۡنَ الصَّلٰوةَ وَمِمَّا رَزَقۡنٰهُمۡ يُنۡفِقُوۡنَۙ ﴿۳﴾ وَالَّذِيۡنَ يُؤۡمِنُوۡنَ بِمَۤا اُنۡزِلَ اِلَيۡكَ وَمَاۤ اُنۡزِلَ مِنۡ قَبۡلِكَۚ وَبِالۡاٰخِرَةِ هُمۡ يُوۡقِنُوۡنَؕ ﴿۴﴾ اُولٰٓٮِٕكَ عَلٰى هُدًى مِّنۡ رَّبِّهِمۡ وَاُولٰٓٮِٕكَ هُمُ الۡمُفۡلِحُوۡنَ ﴿۵﴾۔
ये पुस्तक (कुर्आन) है, इसमें कोई संदेह नहीं कि यह उन लोगों को सत्य मार्ग दर्शाती है।
- जो (अल्लाहसे) डरते हैं। और जो ग़ैब [परोक्ष] पर ईमान (विश्वास) रखते हैं तथा नमाज़ की स्थापना करते हैं। और जो कुछ हमने उन्हें दिया है, उसमें से दान करते हैं।
- जो उस पुस्तक (कुर्आन) पर जो तुझ पर उतारी गई है, और उन पुस्तकों पर भी, जो तुझ से पहले पेग़म्बरों पर उतारी गई थीं, विश्वास करते हैं। और वे न्याय के दिन (प्रलय के पश्चात होने वाले हिसाब के दिन) में विश्वास करते हैं।
यही लोग अपने पालनहार की बताई सीधी डगर पर हैं और यही सफल होने वाले हैं। “2-5”
الۤرٰ ࣞ كِتٰبٌ اَنۡزَلۡنٰهُ اِلَيۡكَ لِـتُخۡرِجَ النَّاسَ مِنَ الظُّلُمٰتِ اِلَى النُّوۡرِ ۙ بِاِذۡنِ رَبِّهِمۡ اِلٰى صِرَاطِ الۡعَزِيۡزِ الۡحَمِيۡدِۙ (۱) اللّٰهِ الَّذِىۡ لَهٗ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الۡاَرۡضِؕ (۲) ۔
[Q-14:1-2]
अलिफ़, लाम, रा। ये (कुर्आन) एक पुस्तक है, जिसे हमने आपकी ओर अवतरित (नाज़िल) किया है, ताकि आप लोगों को अंधेरों से निकालकर प्रकाश की ओर लायें। उनके रब की अनुमति से, उस रब की राह की ओर, जो बड़ा प्रबल सराहा हुआ है। (1) वह रब जिसके अधिकार में आकाश और धरती का सब कुछ है (2)
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कुर्आन और आस्तिक के बीच संबंध।
وَالَّذِيۡنَ اٰمَنُوۡا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ وَاٰمَنُوۡا بِمَا نُزِّلَ عَلٰى مُحَمَّدٍ وَّهُوَ الۡحَقُّ مِنۡ رَّبِّهِمۡۙ كَفَّرَ عَنۡهُمۡ سَيِّاٰتِهِمۡ وَاَصۡلَحَ بَالَهُمۡ ﴿۲﴾۔
[Q-47:02]
तथा जो ईमान लाये और सदाचार करे। तथा उस (कुर्आन) पर ईमान लाये, जो मुह़म्मद ﷺ पर उतारा गया है। और जो (दरअसल) उनके पालनहार की ओर से सच है , तो ईश्वर उनसे, उनके पापों को रद्द कर देगा। तथा उनकी दशा को सुधार देगा।
وَالَّذِىۡ جَآءَ بِالصِّدۡقِ وَصَدَّقَ بِهٖۤ اُولٰٓٮِٕكَ هُمُ الۡمُتَّقُوۡنَ ﴿۳۳﴾ لَهُمۡ مَّا يَشَآءُوۡنَ عِنۡدَ رَبِّهِمۡ ؕ ذٰ لِكَ جَزٰٓؤُ الۡمُحۡسِنِيۡنَ ۖۚ ﴿۳۴﴾ لِيُكَفِّرَ اللّٰهُ عَنۡهُمۡ اَسۡوَاَ الَّذِىۡ عَمِلُوۡا وَيَجۡزِيَهُمۡ اَجۡرَهُمۡ بِاَحۡسَنِ الَّذِىۡ كَانُوۡا يَعۡمَلُوۡنَ ﴿۳۵﴾۔
[Q-39:33-35]
तथा जो ﷺ सत्य अथार्थ कुर्आन लाये और जिसने उसे सच माना, तो वही मुत्तकी अथार्थ आस्तिक / मोमिन हैं। उनके पालनहार के यहाँ यह लोग जो भी चाहेंगे, वोह मोजूद होगा। और यही सदाचारियों का प्रतिफल है। और ईश्वर उनके वह कुकर्म / पाप जो उन्होंने किये हैं क्षमा कर देगा। तथा उनके उन उत्तम कर्मों के बदले प्रतिफल देगा, जो उन्होंने किये होंगे।
فَاِنَّكَ لَا تُسۡمِعُ الۡمَوۡتٰى وَلَا تُسۡمِعُ الصُّمَّ الدُّعَآءَ اِذَا وَلَّوۡا مُدۡبِرِيۡنَ ﴿۵۲﴾ وَمَاۤ اَنۡتَ بِهٰدِ الۡعُمۡىِ عَنۡ ضَلٰلَتِهِمۡؕ اِنۡ تُسۡمِعُ اِلَّا مَنۡ يُّؤۡمِنُ بِاٰيٰتِنَا فَهُمۡ مُّسۡلِمُوۡنَ ﴿۵۳﴾۔
[Q-30:52-53]
तो (हे नबी!) आप नहीं सुना सकेंगे मुर्दो को और नहीं सुना सकेंगे बहरों को पुकार, जब वे भाग रहे हों, पीठ फेरकर। तथा आप अंधों को उनके कुपथ से मार्ग नहीं दर्शा सकते, आप केवल उन्हीं को सुना सकते हैं, जो हमारी आयतों पर ईमान लाते हैं, और वही मुस्लिम हैं।
وَمَنۡ اَظۡلَمُ مِمَّنۡ ذُكِّرَ بِاٰيٰتِ رَبِّهٖ فَاَعۡرَضَ عَنۡهَا وَنَسِىَ مَا قَدَّمَتۡ يَدٰهُ ؕ اِنَّا جَعَلۡنَا عَلٰى قُلُوۡبِهِمۡ اَكِنَّةً اَنۡ يَّفۡقَهُوۡهُ وَفِىۡۤ اٰذَانِهِمۡ وَقۡرًا ؕ وَاِنۡ تَدۡعُهُمۡ اِلَى الۡهُدٰى فَلَنۡ يَّهۡتَدُوۡۤا اِذًا اَبَدًا ﴿۵۷﴾۔
[Q-18:57]
और उससे बड़ा अत्याचारी (ज़ालिम)कौन है, जिसे उसके रब की आयतें सुनाई जायेँ, फिर (भी) उनसे मुँह फेर ले और अपने पहले किये हुए करतूत भूल जाये? वास्तव में! हमने उनके कानों में बोझ, तथा उनके दिलों पर ऐसे आवरण (पर्दे) बना दिये हैं कि (कुर्आन को) समझ न पायें। और यदि आप उन्हें सीधी राह की ओर बुलायें, तब (भी) कभी सीधी राह नहीं पा सकेंग। (57)
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पेगम्बर और पवित्र पुस्तक।
وَبِالۡحَـقِّ اَنۡزَلۡنٰهُ وَبِالۡحَـقِّ نَزَلَ ؕ وَمَاۤ اَرۡسَلۡنٰكَ اِلَّا مُبَشِّرًا وَّنَذِيۡرًا ۘ ﴿۱۰۵﴾۔
[Q-17:105]
और हमने सत्य के साथ ही इस (कुर्आन) को उतारा है तथा ये सत्य के साथ ही उतरा है और हमने आपको बस शुभ सूचना देने तथा सावधान करने वाला बनाकर भेजा है। (105)
وَاَنۡ اَتۡلُوَا الۡقُرۡاٰنَۚ فَمَنِ اهۡتَدٰى فَاِنَّمَا يَهۡتَدِىۡ لِنَفۡسِهٖۚ وَمَنۡ ضَلَّ فَقُلۡ اِنَّمَاۤ اَنَا مِنَ الۡمُنۡذِرِيۡنَ ﴿۹۲﴾۔
[Q-27:92]
तथा कुर्आन पढ़ते रहो, तो जिसने सुपथ अपनाया, तो वह अपने ही लाभ के लिए सुपथ अपनायेगा और जो कुपथ हो जाये, तो आप कह दें कि वास्तव में, मैं तो बस सावधान करने वालों में से हूँ।
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दूत (रसूल) का उद्देश्य।
وَمَا نُرۡسِلُ الۡمُرۡسَلِيۡنَ اِلَّا مُبَشِّرِيۡنَ وَمُنۡذِرِيۡنَ ۚ وَيُجَادِلُ الَّذِيۡنَ كَفَرُوۡا بِالۡبَاطِلِ لِـيُدۡحِضُوۡا بِهِ الۡحَـقَّ وَاتَّخَذُوۡۤا اٰيٰتِىۡ وَمَاۤ اُنۡذِرُوۡا هُزُوًا ﴿۵۶﴾۔
[Q-18:56]
तथा हम रसूलों को केवल शुभ सूचना देने वाले और सावधान करने वाले बनाकर भेजते हैं। और जो काफ़िर हैं, असत्य (अनृत) के सहारे विवाद करते हैं, ताकि उसके द्वारा वे सत्य को नीचा दिखायें और उन्होंने हमारी आयतों को तथा जिस बात की उन्हें चेतावनी दी गई, परिहास (मज़ाक) बना लिया है। (56)
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साम्राज्य।
اِنَّ اللّٰهَ لَهٗ مُلۡكُ السَّمٰوٰتِ وَالۡاَرۡضِؕ يُحۡىٖ وَيُمِيۡتُؕ وَمَا لَـكُمۡ مِّنۡ دُوۡنِ اللّٰهِ مِنۡ وَّلِىٍّ وَّلَا نَصِيۡرٍ﴿116﴾۔
[Q-9:116]
वास्तव में, अल्लाह ही है, जिसके अधिकार में आकाशों तथा धरती का राज्य है। वही जीवन देता तथा मारता है और तुम्हारे लिए उसके सिवा कोई संरक्षक और सहायक नहीं है। (116)
اَلرَّحۡمٰنُ عَلَى الۡعَرۡشِ اسۡتَوٰى ﴿۵﴾ لَهٗ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الۡاَرۡضِ وَمَا بَيۡنَهُمَا وَمَا تَحۡتَ الثَّرٰى ﴿۶﴾ وَاِنۡ تَجۡهَرۡ بِالۡقَوۡلِ فَاِنَّهٗ يَعۡلَمُ السِّرَّ وَاَخۡفٰى ﴿۷﴾ اَللّٰهُ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ؕ لَـهُ الۡاَسۡمَآءُ الۡحُسۡنٰى ﴿۸﴾۔
[Q-20:5-8]
जो अत्यंत कृपाशीलऔर अर्श पर स्थिर है। उसी का है, जो आकाशों में, और धरती में, और आकाश व धरती के बीच तथा जो भूमि के नीचे है। यदि तुम उच्च स्वर में बात करो, तो वह तो वास्तव में, भेद को तथा अत्यधिक छुपे भेद को भी जनता है। वही ईश्वर है, उसके अतिरिक्त कोई वंदनीय (पूज्य) नहीं। । उस के सब नाम उत्तम हैं।
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एक ही पूज्य। जिसका कोई साथी नहीं।
قُلۡ يٰۤاَيُّهَا النَّاسُ اِنِّىۡ رَسُوۡلُ اللّٰهِ اِلَيۡكُمۡ جَمِيۡعَاْ ۨالَّذِىۡ لَهٗ مُلۡكُ السَّمٰوٰتِ وَالۡاَرۡضِۚ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ يُحۡىٖ وَيُمِيۡتُ فَاٰمِنُوۡا بِاللّٰهِ وَرَسُوۡلِهِ النَّبِىِّ الۡاُمِّىِّ الَّذِىۡ يُؤۡمِنُ بِاللّٰهِ وَكَلِمٰتِهٖ وَاتَّبِعُوۡهُ لَعَلَّكُمۡ تَهۡتَدُوۡنَ ﴿۱۵۸﴾۔
[Q-07:158]
(हे नबी!) आप लोगों से कह दें कि हे मानव जाति के लोगो! मैं तुम सभी की ओर उस अल्लाह का रसूल हूँ, जिसके लिए आकाश तथा धरती का राज्य है। उसके अतिरिक्त कोई वंदनीय (पूज्य) नहीं है, केवल वही, जो जीवन भी देता तथा मारता भी है। अतः अल्लाह पर ईमान लाओ और उसके उस उम्मी नबी पर, जो अल्लाह पर और उसकी वाणी (क़ुरान) पर ईमान रखते हैं। और उनका अनुसरण करो, ताकि तुम मार्गदर्शन (हिदायत) पा जाओ।
غَافِرِ الذَّنۡۢبِ وَقَابِلِ التَّوۡبِ شَدِيۡدِ الۡعِقَابِ ذِى الطَّوۡلِؕ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَؕ اِلَيۡهِ الۡمَصِيۡرُ ﴿۳﴾۔
[Q-40:03]
[वह ईश्वर] जो पाप क्षमा करने वाला, तौबा स्वीकार करने वाला, क्षमा याचना का स्वीकारी, कड़ी यातना देने वाला है, उसके सिवा कोई [सच्चा] वंदनीय नहीं। उसी की ओर [सबको] लोटकर जाना है। (3)
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क़ुरान के अनुसार! पहला धर्म इस्लाम है।
مَا يَاۡتِيۡهِمۡ مِّنۡ ذِكۡرٍ مِّنۡ رَّبِّہِمۡ مُّحۡدَثٍ اِلَّا اسۡتَمَعُوۡهُ وَهُمۡ يَلۡعَبُوۡنَۙ ﴿۲﴾۔
[Q-21:02]
उनके पास, उनके पालनहार की ओर से कोई नई शिक्षा नहीं आती, परन्तु वह उसे खेलते हुए सुनते हैं। (02)
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सांप्रदायिकता।
فَاَقِمۡ وَجۡهَكَ لِلدِّيۡنِ حَنِيۡفًا ؕ فِطۡرَتَ اللّٰهِ الَّتِىۡ فَطَرَ النَّاسَ عَلَيۡهَا ؕ لَا تَبۡدِيۡلَ لِخَـلۡقِ اللّٰهِ ؕ ذٰ لِكَ الدِّيۡنُ الۡقَيِّمُ ۙ وَلٰـكِنَّ اَكۡثَرَ النَّاسِ لَا يَعۡلَمُوۡنَ ۙ ﴿۳۰﴾ مُنِيۡبِيۡنَ اِلَيۡهِ وَاتَّقُوۡهُ وَاَقِيۡمُوا الصَّلٰوةَ وَلَا تَكُوۡنُوۡا مِنَ الۡمُشۡرِكِيۡنَۙ ﴿۳۱﴾ مِنَ الَّذِيۡنَ فَرَّقُوۡا دِيۡنَهُمۡ وَكَانُوۡا شِيَعًا ؕ كُلُّ حِزۡبٍۢ بِمَا لَدَيۡهِمۡ فَرِحُوۡنَ ﴿۳۲﴾۔
[Q-30:30-32]
तो तुम एक और होकर धर्म (ईश्वर) के पथ पर सीधा मूँह किये चलो। यह अल्लाह का स्वभाव (प्रकृति) है कि जिस पर मनुष्यों को पैदा किया है। ईश्वर की बनाई हुई सृष्टि मे बदलाव नहीं है। यही स्वभाविक धर्म है, किन्तु अधिकतर लोग नहीं जानते। (30) ध्यान करो अल्लाह की ओर और उससे डरो तथा स्थापना करो नमाज़ की और न हो जाओ उन मुश्रिकों में से। (31) कि जिन्होंने अपने धर्म को टुकड़े टुकड़े कर लिया। और कई फिरकों (गिरोह) मे बंट गये, प्रत्येक फिरका (गिरोह) उसी में खुश [मगन] हैं जो उनके पास है। (32)
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मानवजाति के लिए परमेश्वर की अंतिम दिन की घोषणा।
وَاتَّبِعُوۡۤا اَحۡسَنَ مَاۤ اُنۡزِلَ اِلَيۡكُمۡ مِّنۡ رَّبِّكُمۡ مِّنۡ قَبۡلِ اَنۡ يَّاۡتِيَكُمُ الۡعَذَابُ بَغۡتَةً وَّاَنۡتُمۡ لَا تَشۡعُرُوۡنَۙ ﴿۵۵﴾۔
[Q-39:55]
तथा पालन करो उस सर्वोत्तम [कुर्आन] का, जो तुम्हारी और तुम्हारे रब की ओर से अवतरित किया गया है, इससे पूर्व कि तुमपर अचानक यातना (अज़ाब) आ पड़े और तुम्हें ज्ञान भी न हो। (55)
اَوۡ تَقُوۡلَ لَوۡ اَنَّ اللّٰهَ هَدٰٮنِىۡ لَكُنۡتُ مِنَ الۡمُتَّقِيۡنَۙ ﴿۵۷﴾ اَوۡ تَقُوۡلَ حِيۡنَ تَرَى الۡعَذَابَ لَوۡ اَنَّ لِىۡ كَرَّةً فَاَكُوۡنَ مِنَ الۡمُحۡسِنِيۡنَ ﴿۵۸﴾ بَلٰى قَدۡ جَآءَتۡكَ اٰيٰتِىۡ فَكَذَّبۡتَ بِهَا وَاسۡتَكۡبَرۡتَ وَكُنۡتَ مِنَ الۡكٰفِرِيۡنَ ﴿۵۹﴾۔
[Q-39:57-59]
अथवा कहे कि यदि अल्लाह मुझे सुपथ (हिदायत) दिखाता, तो मैं डरने वालों में से हो जाता। (57) अथवा जब यातना (अज़ाब) देख ले तब कहे कि यदि मुझे [संसार में] फिरकर जाने का अवसर हो जाये, तो मैं अवश्य सदाचारियों (मोमीनो) में से हो जाऊँगा। (58) [अल्लाह कहेगा] हाँ, मेरी निशानियाँ [किताबें] तुम्हारे पास पहुँच गई थी तो तुमने उन्हें झुठला दिया और अभिमान किया तथा तुम थे ही काफ़िरों में से। (59)